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PUBLISHED : 07-01-2017


नाभिस्थान की प्रक्रति में अगन जलती रहती है और वहां से कँठ तक प्राण-वायू ऊपर आती रहती है ।
शीॅषस्थल(ब्रह्मांड) में प्राणापान रूपी नदी प्रवहमान है।
इसलिये- हह- ठंडा और - हा हा -गरम है।